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केरल का समाज वैसे तो स्त्री प्रधान कहा जाता है पर यहाँ पर स्त्रियों का शोषण दूसरी जगहों से कुछ कम नहीं है . औरतें घर और बाहर दोनों का कम संभालतीं हैं और मर्द घर में बैठकर शराब पीते हैं और बीबियों के साथ मार-पीट करते हैं. यह कहानी खास तौर पर निम्नवर्ग की कहानी है . ज्यादातर पुरुषों को एक पढ़ी लिखी और कमाऊ बीबी मिलती है . शादी के लिए लड़कियों की सबसे बड़ी योग्यता उनका नौकरीशुदा होना है चाहे उनके माता-पिता दहेज़ दें या न दें . इस बात का ही फायदा पुरुष उठाते हैं. यहाँ पर कायदे की नौकरी मिल पाना कठिन है . सौ प्रतिशत साक्षरता के कारण नौकरी के लिए उम्मीदवारों की संख्या अधिक है. कम पढ़े लिखों को मजदूरी का काम ही मिल पता है जो वे अपनी शान के खिलाफ समझते हैं. फलस्वरूप घर की स्त्री को ही छोटे काम करने पर मजबूर होना पड़ता है, क्योंकिं मर्दों की अपेक्षा परिवार का दायित्व उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण है.
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